वक्फ संशोधन बिल पर फैसले की आखिरी घड़ी
वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की वैधता को चुनौती देनी वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई खत्म हुई। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को सुरक्षित रख लिया है।
वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित:दलील- वक्फ अल्लाह के लिए दान; CJI बोले- यह इस्लाम तक सीमित नहीं, हिंदुओं में भी मोक्ष की अवधारणा
नई दिल्ली20 घंटे पहले
वक्फ (संशोधन) कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 20 मई से लगातार सुनवाई चल रही थी।
वक्फ (संशोधन) कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 20 मई से लगातार सुनवाई चल रही थी।
वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की वैधता को चुनौती देनी वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई खत्म हुई। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को सुरक्षित रख लिया है।
याचिकाकर्ताओं ने कानून को मुसलमानों के अधिकारों के खिलाफ बताया और अंतरिम रोक लगाने की मांग की। उधर, केंद्र सरकार ने कानून के पक्ष में दलीलें रखीं।
आखिरी दिन बहस सरकार की उस दलील के आसपास रही, जिसमें कहा कि गया कि वक्फ एक इस्लामी अवधारणा है, लेकिन यह धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। इसलिए यह मौलिक अधिकार नहीं है।
वक्फ को इस्लाम से अलग एक परोपकारी दान के रूप में देखा जाए या इसे धर्म का अभिन्न हिस्सा माना जाए। इस पर याचिकार्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने कहा, ‘ परलोक के लिए.... वक्फ ईश्वर को समर्पण है। अन्य धर्मों के विपरीत, वक्फ ईश्वर के लिए दान है।’
तभी CJI बीआर गवई ने कहा, धार्मिक दान केवल इस्लाम तक सीमित नहीं है। हिंदू धर्म में भी 'मोक्ष' की अवधारणा है। दान अन्य धर्मों का भी मूल सिद्धांत है। तभी जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने भी सहमति जताते हुए कहा, 'ईसाई धर्म में भी स्वर्ग की चाह होती है।