सागर जिले में महिला कोटवार पर जानलेवा हमला और जातिगत अपमान — अनुसूचित जाति विभाग ने की सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग
प्रेस विज्ञप्ति
दिनांक: 10 जुलाई 2025
स्थान: भोपाल, मध्यप्रदेश
सागर जिले में महिला कोटवार पर जानलेवा हमला और जातिगत अपमान — अनुसूचित जाति विभाग ने की सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग
मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति वर्ग की महिलाओं पर हो रहे अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। ताजा मामला सागर जिले की राहतगढ़ तहसील के ग्राम रजौली का है, जहाँ पदस्थ महिला कोटवार श्रीमती कौशल्या बाई चड़ार, पति श्री उदयभान चड़ार, पर गांव के ही दबंग पवन लोधी और अनिकेश लोधी द्वारा जानलेवा हमला किया गया, उनके मकान को बुलडोजर और ट्रैक्टर से ढहा दिया गया, और उन्हें व उनके परिवार को जातिसूचक शब्दों और गालियों के साथ गाँव से बेदखल करने की धमकी दी गई।
घटना के वक्त कौशल्या बाई चड़ार तहसील कार्यालय में मौजूद थीं, जब उनके बेटे ने फोन पर बताया कि उन्हें, उनकी पत्नी, बहनों और बच्चों को घर में बंद कर मकान को गिराया जा रहा है। इस सूचना पर तहसीलदार कार्यालय में मौजूद अधिकारियों और पुलिस प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए परिवार को किसी तरह बचाया। लेकिन शर्मनाक बात यह है कि घटना के कई दिन बाद तक राहतगढ़ थाने ने कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की। यहां तक कि पीड़िता द्वारा सागर एसपी कार्यालय में आवेदन देने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
आज भी आरोपी खुलेआम गाँव में घूम रहे हैं, और पीड़िता कौशल्या बाई चड़ार पिछले 20 दिनों से गाँव छोड़कर राहतगढ़ कस्बे में किराए पर रहने को मजबूर हैं। एक महिला, वह भी सरकारी पद पर कार्यरत कोटवार, के साथ ऐसा व्यवहार पूरे प्रशासनिक सिस्टम की संवेदनहीनता और जातीय भेदभाव की गहरी सच्चाई को उजागर करता है।
हम, अनुसूचित जाति विभाग, मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी, इस पूरे मामले को लेकर गहरी नाराज़गी और चिंता प्रकट करते हैं। प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने कहा है:
“यह घटना केवल एक महिला कर्मचारी पर हमला नहीं, बल्कि पूरे अनुसूचित जाति वर्ग के सम्मान और सुरक्षा पर हमला है। यदि आरोपियों पर जल्द से जल्द सख्त कार्रवाई नहीं होती है, तो यह स्पष्ट संकेत होगा कि मौजूदा सरकार दलितों की सुरक्षा और न्याय को लेकर पूरी तरह असंवेदनशील है।”
हम मांग करते हैं कि:
आरोपियों अजा/अजजा अत्याचार निवारण अधिनियम, भारतीय दंड संहिता की सुसंगत धाराओं में तत्काल एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए।
पीड़िता और उनके परिवार को सुरक्षा प्रदान की जाए और स्थायी पुनर्वास की व्यवस्था की जाए।
घटना की न्यायिक जांच कराई जाए और पुलिस अधिकारियों की लापरवाही पर भी कार्रवाई की जाए।
यदि सरकार ने शीघ्र कार्यवाही नहीं की, तो अनुसूचित जाति विभाग पूरे प्रदेश में आंदोलन करेगा।
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